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सत चंडी हवन एक उच्चतम स्तर का पूजा-यज्ञ है जो लोग देवी को आनंदित करने और मानव जाति की सुरक्षा के लिए करते हैं। देवी, हिन्दू धर्म में सभी शक्तियों की सार्थक स्वरूपिणी हैं, और वह जगत को समाहित करने वाली एकमात्र सत्य हैं। सत चंडी पाठ और यज्ञ का सम्मिलन, देवी के प्रति श्रद्धा और भक्ति का परिचायक है और यह जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों को दूर करने में मदद करता है।
यह यज्ञ हिन्दू धर्म में सबसे प्रतिष्ठित अनुष्ठानों में से एक माना जाता है और इसका आयोजन नवरात्रि के दौरान किया जाता है। यहां, दुर्गा सप्तशती के मंत्रों के साथ संपुटित पाठ एवं यज्ञ के माध्यम से जीवन की समस्त समस्याओं का समाधान होता है। यह यज्ञ आत्मा की शुद्धि करने में सहायक होता है और इसे एक नए ऊर्जा से भर देता है।
सत चंडी महायज्ञ का आयोजन नवरात्रि के दौरान होने के कारण इसका महत्व और भावनात्मक परिचय अधिक होता है। यहां, भक्ति और पूजा के माध्यम से देवी का साक्षात्कार करने का प्रयास किया जाता है, जिससे आशीर्वाद और लाभ प्राप्त होता है।
सत चंडी हवन में पाठित मंत्रों और यज्ञ की प्रक्रिया के समर्थन से लोग नवरात्रि के इस महत्वपूर्ण समय में देवी की पूजा में शक्ति समेटते हैं और नवग्रहों के बुरे प्रभावों को शांत करते हैं। इस यज्ञ के साथ, दुर्गा सप्तशती के मंत्रों की शक्ति भी शामिल होती है, जो अधिक सकारात्मकता, ऊर्जा, और आनंद को जीवन में लाती है। इस यज्ञ का आयोजन शुभ मुहूर्त पर किया जाता है जिससे इसका प्रभाव सबसे अधिक हो सकता है।
सत चण्डी हवन का महत्व :
सत चंडी हवन एक पूजा और यज्ञ क्रिया है जिसका मूल आधार दुर्गासप्तशती पाठ पर है। इस हवन का मुख्य उद्देश्य देवी की जागरूकता प्राप्त करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है। इस हवन के माध्यम से, व्यक्ति देवी चंडी को अपनी उपासना में शामिल करता है और उनसे शक्ति, साहस और कुशलता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करता है।
सत चंडी पाठ के यज्ञ के माध्यम से व्यक्ति देवी के आदिशक्ति रूप में उपासना करता है, जो समस्त जीवन की समस्याओं और संघर्षों का समाधान करने में सहायक है। यह पूजा शक्ति की आदिशक्ति के साथ जुड़ने का एक उत्कृष्ट माध्यम है जो व्यक्ति को अद्वितीय ऊर्जा से जोड़कर उनके जीवन को सकारात्मक दिशा में प्रवृत्त करता है।
संपुटित पाठ के साथ यह हवन देवी की एक माँ के रूप में उपासना का सामूहिक रूप है, जिससे साधकों को एक समृद्धि और सुखद जीवन की कड़ी मेहनत के साथ प्राप्त होती है। इसके रूपीं यज्ञ से जीवन की समस्त कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होता है और साधक को देवी के आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक शक्तिशाली और सकारात्मक तरीका प्रदान करता है।
सतचंडी हवन के लाभ :
सत चंडी पूजा प्रक्रिया
1 या 2 पंडित सत चंडी पूजा करते हैं। पूजा में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है।
इस ब्रह्मांड की अंतिम शक्ति उन्हें दुनिया की संपूर्ण परिष्कृत खुशी प्राप्त करने में मदद करती है। यह यज्ञ सम्पुटित पाठ के साथ एक लाभदायी प्रक्रिया है । इसकी पुष्टि ज्योतिष शास्त्र भी करते है । दुनिया की माँ के रूप में, वह लोगों की इच्छाओं और इच्छाओं के बारे में जानती है। भक्त एक संकल्प करते हैं और देवी से हमारे सपनों और इच्छाओं को पूरा करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
साथ ही, यज्ञ दुनिया की संपूर्ण खुशी और परमानंद प्रदान करने में मदद करता है। शत चण्डी यज्ञ सम्पुटित पाठ से माँ के रूप में देवी की पूजा होती है। संपुटित चंडी पाठ के महत्व को बढ़ाता है और जीवन के संपूर्ण कष्टों को मिटा देता है।
सत चंडी हवन, जो कि मूलतः दुर्गासप्तशती पाठ का हिस्सा है, देवी दुर्गा की जीत पर आधारित है। इस अद्वितीय पाठ का मुख्य उद्देश्य देवी की जागरूकता प्राप्त करना और उनके आशीर्वाद से युक्त होना है, क्योंकि वह सभी समस्याओं और संघर्षों को हल करने में सहायक है। यह पाठ देवी चण्डी को माता के रूप में पूजना है और संपुटित चण्डी पाठ के प्रभाव को बढ़ाता है तथा जीवन की समस्त समस्याओं को दूर कर देता है। इस पाठ के साथ यज्ञ का आयोजन करना, भक्ति के रूप में देवी की सेवा करना है, जिससे देवी को प्रसन्न किया जा सकता है।
यह यज्ञ विभिन्न धार्मिक प्रथाओं में अपनाया जाता है, जिसमें कुशल पंडितों और सिद्ध पंडितों के साथ मिलकर यजमान द्वारा श्रद्धापूर्वक संपुटित पाठ और चण्डी पाठ का अनुष्ठान किया जाता है। यज्ञ में उपयोग की जाने वाली पूजा के सामान माँ को चढ़ाए गए सुंदर उपहारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह यज्ञ में 100 बार चंडी पाठ का विशेष महत्व है और प्रत्येक प्रक्रिया का अपना विशेष सिद्धांत है।
यज्ञ के दौरान, यजमान द्वारा माँ चण्डी को चढ़ाए गए उपहारों के साथ पूजा की जाती है और उनके चरणों में अहंकार और क्रोध को समर्पित किया जाता है। भक्त उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं और बलिदान करते हैं। यज्ञ के अंत में हवन किया जाता है और देवी की स्तुति में आरती गाई जाती है। यज्ञ के साथ, शत चंडी यज्ञ भी किया जाता है जिससे जीवन में उल्लास और धन की प्राप्ति होती है। यह यज्ञ भय की स्थिति को समाप्त करता है और ऋणों से मुक्ति प्रदान करता है। इससे सभी प्रकार की समस्याएं और दुःखों का समापन होता है, और यज्ञ अनुयायी को समृद्धि, अधिकार, और शक्ति प्रदान करता है।
कैसे होता है सत चंडी पाठ