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केतु शांति पूजा
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पितृ दोष निवारण पूर्वजों का कर्म ऋण है और कुंडली में ग्रहों के अनुक्रम के रूप में परिलक्षित होता है। यह दोष, व्यक्ति के दिवंगत पूर्वजों द्वारा दिए गए श्राप के कारण उनके जीवन में आता है । पितृ दोष परिवार में कई संकटपूर्ण स्थितियों को ला सकता है और बड़ी बेचैनी का कारण बन सकता है।
Description
केतु शांति पूजा क्यू आवश्यक है –
किसी जातक की कुंडली में अशुभकारी केतू की दशा निर्मित होने के स्थिती को केतु दोष माना जाता है ऐसी स्थिती में जो भी जातक इस दोष के घेरे में आता है उसका जीवन दुखो से भर जाता है और नकारात्मक विचारधाराएं और विघ्न चारों ओर से घेर लेते है सभी ग्रहों में राहू और केतु सबसे क्रूर ग्रह माने गए हैं क्युकी सूर्य और चंद्र तक इनके इस प्रभाव से नही बच सके इस लिए उनपर ग्रहण लगता है।
शांति पूजा के लाभ –
(1) केतु के हानिकारक दृष्टि लाभदायक प्रभाव वाली होने लगती है ।
(2) परिवार में होने वाले उपद्रव कम होते है।
(3) संतान संबंधी सुख मिलता है।
(4) मानसिक एकाग्रता में वृद्धि होती हैं।
केतु शांति पूजा –
केतू शांति पूजा आप घर से ऑनलाइन करवा सकते हैं और ऑनलाइन शामिल भी हो सकते हैं। पूजा में केतू के 18000 जप विप्रगणो द्वारा किए जाते है और संकल्प किया जाता है तथा नवग्रह पूजन, हवन और केतू के लिए निर्धारित दान दिया जाता है।
पूजा के बाद आपके पते पर विशेष प्रसादी भी हमारे द्वारा भेजी जाती हैं।
ग्रह शांति या कुंडली पूजा उज्जैनी में ही क्यों?
ज्योतिष के अनुसार उज्जैन कर्क रेखा पर स्थित है और काल गणना का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। उज्जैन में भगवन श्री शिव, महाकाल के रूप में विराजित है और महाकाल को हम समय के देवता के रूप में पूजते है। उज्जैन सप्तपुरियों में से एक है जो की सनातन धर्म की एक प्रमुख तीर्थनगरी भी है। यहाँ एक ज्योतिर्लिंग, एक शक्तिपीठ, एक महाशक्तिपीठ, अष्ट भैरव, जागृत शमशान, एक कल्पवृक्ष और नदियों में श्रेष्ठ शिप्रा बहती है। इसीलिए इन पूजा का महत्त्व उज्जैन के करवाने के कारण बढ़ जाता है। हम यह पूजा सिद्धवट घाट पर करवाते है जो की उज्जैन का सबसे प्राचीन और चमत्कारिक घाट है जहाँ पूजा करने से सारी मनोकामनायें पूरी होती है। सिद्धवट घाट पर अति प्राचीन कल्पवृक्ष जिसे सिद्धवट के नाम से भी जाना जाता है यह पूजा उस वट वृक्ष के नीचे होने से और भी ज्यादा फलदायी हो जाती है।
Ashok Kumar Saxena –
The pooja ceremony was conducted with utmost care and devotion, creating a sacred space for healing.