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नवचंडी हवन

नवचंडी पूजा एक शक्तिशाली और विशेष पूजा है जो आमतौर पर नवरात्रि के दौरान आयोजित की जाती है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य देवी दुर्गा की आराधना और उनकी कृपा को प्राप्त करना है। इसमें नवरूपिणियों, देवी के नौ अवतारों की पूजा की जाती है जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।

नव चंडी पूजा के दौरान, दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है, जिसमें देवी के शक्तिशाली मंत्रों का जाप किया जाता है। यह मंत्र पाठ पूजा के दिनों में भक्तों को देवी की कृपा और शक्ति को आत्मसात करने में मदद करता है। नव चंडी पूजा एक पूर्ण आराधना और अनुष्ठान है, जो भक्तों को देवी के सानिध्य में ले जाता है।

इस पूजा के दौरान, भक्त नौ दिनों तक नियमित रूप से देवी की पूजा, आराधना, और मंत्रजाप करता है। नौ दिनों में, प्रतिदिन एक अवतार की पूजा की जाती है, जिससे भक्त देवी के सभी रूपों की कृपा को प्राप्त करता है। इस पूजा का आयोजन विशेष रूप से नवरात्रि के महत्वपूर्ण दिनों में किया जाता है और इसका परिणामस्वरूप भक्तों को शांति, सुख, और आनंद की प्राप्ति होती है।

नौ अवतार :

  • शैलपुत्री
  • ब्रह्मचारिणी
  • चंद्रघंटा
  • कुष्मांडा
  • स्कंदमाता
  • कात्यायनी
  • कालरात्रि
  • महागौरी
  • सिद्धिदात्री

सप्तशती, जिसका अर्थ है “सत्तासत् (700)” श्लोकों का पाठ, देवी दुर्गा के महत्वपूर्ण तात्पर्य और उनकी शक्तियों की महिमा का विवेचन करता है। यह पौराणिक ग्रंथ दुर्गा सप्तशती कथाएं और मंत्र समेत सात सौ श्लोकों को शामिल करता है।

दुर्गा सप्तशती पुराणों में से एक है जो मां दुर्गा के रूप, महिमा, और उनकी लीलाओं की कथाएं वर्णित करती हैं। यह ग्रंथ देवी को सर्वशक्तिमान और सर्वोच्च शक्ति के रूप में पूजनीय बताता है और उनके सात मुखों वाले रूप की विशेष बर्णना करता है।

दुर्गा सप्तशती के पाठ से मानव जीवन में शक्ति, सौभाग्य, और संयम की प्राप्ति होने का अनुभव होता है। यह मंत्र जाप और पूजा के माध्यम से सभी दिशाओं में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है।

नवरात्रि के दौरान नवचंडी पूजा का आयोजन किया जाता है जिसमें दुर्गा सप्तशती का पाठ सहित नौ दिनों तक पूजा-अर्चना की जाती है। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य नवदुर्गा के नौ रूपों की उपासना करके शक्ति के सात अवतारों की कथाएं सुनना और मानव जीवन में उनकी कृपा को प्राप्त करना है।