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ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते हैं जो चंद्रमा के पथ को बांटते हैं, और इसमें ग्रह बुध और केतु द्वारा शासित 6 नक्षत्र गंडमूल नक्षत्र कहलाते हैं: अश्विनी, आश्लेषा, माघ, रेवती, ज्येष्ठ, और मूल। इन नक्षत्रों को गंडमूल नक्षत्र माना जाता है और इनकी उपस्थिति जातक के लिए आमतौर पर अशुभ मानी जाती है। इस प्रकार के नक्षत्रों में जन्मलेने वाले व्यक्ति को जीवन में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।
इस स्थिति में ज्योतिष शास्त्र के आचार्यों का कहना है कि उपयुक्त पूजा और उपचार से इन कठिनाईयों का समाधान किया जा सकता है। जन्मकुंडली में इन नक्षत्रों के दोषों का समीक्षात्मक अध्ययन कर उचित पूजा-अर्चना विधि के अनुसार इसे ठीक करना होता है। गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा जातक को बुरे ग्रहों के क्रोध का सामना करने में मदद कर सकती है और उसे जीवन की मुश्किलों से सामना करने की शक्ति प्रदान कर सकती है। इस पूजा में, यदि व्यक्ति सही उपायों और मंत्रों का अनुसरण करता है, तो उसे जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस हो सकता है और वह बुरी स्थितियों को नियंत्रित करने में सक्षम हो सकता है।
यह पूजा विशेष रूप से गंडमूल नक्षत्रों के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए की जाती है। यह पूजा व्यक्ति के जन्म के समय प्रबल होती है और इसे आचार्यों द्वारा जन्म के 27 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। नवोदित बच्चे के लिए इस पूजा को करना बहुत सरल है लेकिन इसका प्रभाव प्रबल और आवश्यक है। इस पूजा को जल्दी से करना चाहिए ताकि जातक की सुरक्षा और पवित्रता बनी रहे और उसका जीवन मंगलमय रहे। गंडमूल पूजा विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से नक्षत्रों की रक्षा करने वाली देवी को शांत करने और आनंदित करने के लिए की जाती है।
गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा की कुछ मुख्य क़दम हैं, जो निम्नलिखित हैं:
यहीं कुछ मुख्य क़दम हैं जो गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा के दौरान अनुसरण किए जा सकते हैं। परन्तु आप उज्जैन में एक विशेषज्ञ एवं अनुभवी पंडित या आचार्य से यह पूजा सम्पन्न करना कहते है तो हमसे संपर्क करके इस दोष के बुरे प्रभाव को ख़त्म करें।